हर बीमारी का इलाज करने वाली पुरानी दवा

मस्कट के मुतराह सोक बाजार की भीड़भरी घुमावदार गलियों की हवा में लोबान (लोहबान) का धुआं तैरता रहता है.

इस धुएं की कस्तूरी जैसी दिलकश ख़ुशबू ओमान के शहरों और यहां की संस्कृति में ऐसे घुली-मिली है कि आप कहीं भी चले जाएं, इस ख़ुशबू से दूर नहीं हो सकते.

दुकानों के बाहर लटकती चांदी की धूपदानी में सुलगते लोबान से निकलने वाली ख़ुशबू सम्मोहित कर लेती है.

खुले आसमान के नीचे लगी कुछ छोटी दुकानों में मसालों, लोबान और खजूर के ढेर लगे हैं.

पूरी लंबाई के काले अबाया और सिल्क के रंगीन स्कार्फ और शॉल ओढ़े महिलाएं और टखने तक सफेद डिशडाशा और कढ़ाई वाले ख़ूबसूरत कुमा टोपी पहने पुरुष कंकड़ के आकार की लोबान की डलियों को देखते हैं.

वे हल्के पीले, हल्के भूरे और क्रीम रंग के हैं. मस्कट की इन जादुई और दिलकश तस्वीरों का जिक्र बाइबिल में भी है.

मुतराह सोक दुनिया की उन चुनिंदा जगहों में से एक है जहां मैं एक साथ सोना, मुर (गंधरस) और लोबान खरीद सकता हूं.

ईसाई परंपराओं के मुताबिक तीन मागी यही तीन उपहार बेबी जीसस के लिए लाए थे.

दो सहस्राब्दी पहले यही तीन उपहार सबसे बेशकीमती समझे जाते थे. उन दिनों लोबान की कीमत उसी वजन के सोने के बराबर होती थी.

6,000 साल पहले लोबान का प्रयोग इत्र और रामबाण औषधि के रूप किया जाता था. पुरानी फ्रेंच भाषा में फ्रांक इन्सेंस का मतलब था शुद्ध धूप.

लोबान एक सुगंधित राल है जो बोस्वेलिया जीनस के पेड़ से निकाला जाता है. ये पेड़ हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका (उत्तर पूर्वी अफ्रीका) से लेकर भारत और दक्षिणी चीन तक की पट्टी में होते हैं.

सबसे अधिक सप्लाई सोमालिया, इरिट्रिया और यमन से होती है. ये सभी देश हाल के वर्षों में संघर्ष से जूझते रहे हैं, जिससे लोबान के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है.

लेकिन ओमान में शांति है और यहां सबसे बेहतरीन और महंगे लोबान का उत्पादन होता है. प्राचीन मिस्र के लोग इसे "देवताओं का पसीना" कहते थे.

बोस्वेलिया सैक्रा का पेड़ ओमान के दक्षिणी प्रांत डोफर के दुर्गम इलाकों में होता है. लोबान की कीमत उसके रंग, राल के आकार और उसमें तेल की सांद्रता से तय होती है.

सबसे कीमती क्वालिटी का लोबान होजरी के नाम से जाना जाता है, जो डोफर के पहाड़ियों के शुष्क वातावरण में होता है. मॉनसून की हवाएं वहां तक नहीं पहुंच पातीं.

यहां के लोबान के पेड़ों, काफिले के रास्तों और ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के बंदरगाह को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है.

यूनेस्को के विवरण के मुताबिक "इस क्षेत्र में कई सदियों तक होने वाला लोबान का व्यापार प्राचीन और मध्यकालीन दुनिया की सबसे प्रमुख व्यापारिक गतिविधियों में से एक था."

लोबान से लदे हजारों ऊंटों और गुलामों के काफिले यहां से अरब के रेगिस्तान में लगभग 2000 किलोमीटर की मुश्किल यात्रा पर निकलते थे.

वे मिस्र, बेबीलोनिया, यूनानी और रोमन साम्राज्य तक अपना माल पहुंचाते थे. राल से लदे पानी के जहाज चीन तक सफर करते थे.

रोमन विद्वान प्लिनी द एल्डर (23 ईसा पूर्व से 79 ईस्वी) ने लिखा है कि इस व्यापार ने ही दक्षिणी अरब के लोगों को धरती पर सबसे अमीर बना दिया था.

Comments